01. क्रोध को प्यार से
बुराई को अच्छाई से
स्वार्थी को उदारता से और
झूठे व्यक्ति को सच्चाई से
जीता जा सकता है।
— गौतम बुद्ध
02. “परेशान लोगों की मदद करो
चाहे उनका ताल्लुक…
किसी भी मजहब से क्यों ना हो।”
03. “ताकत की जरूरत तब होती है,
जब कुछ बुरा करना हो।
वरना दुनिया में सबकुछ पाने के लिए
प्रेम ही काफी है।”
04. “कोई मेरा बुरा करे
वो कर्म उसका।
मैं किसी का बुरा ना करूं
यह धर्म मेरा।”
05. “परमात्मा कभी किसी का भाग्य नहीं लिखता।
जीवन के हर कदम पर
हमारी सोच, हमारा व्यवहार और
हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं।”
Suvichar in Hindi
06. “अभिमान नहीं होना चाहिए कि
मुझे किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
और ये वहम भी नहीं होना चाहिए कि
मेरी जरूरत सबको पड़ेगी।”
07. “प्रेम और मित्रता
मन से होती है, मतलब से नहीं।”
08. “संबंध इतना सुंदर बनाए कि
सुख हो या दुख;
हक से बात कर सको।”